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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक | [ ५९ (९६) महुवा ( विघ्नेश्वर अतिशयक्षेत्र ) महुवा ग्राम ठीक है । नदीके किनारे धर्मशाला, मंदिर, कुआ, बगीचा है। मंदिर में एक भौंहरा और ४ वेदीजी हैं । जिसमें अनेक प्रतिमा प्राचीन अतिशययुक्त पार्श्वनाथकी विराजमान हैं। इसका भी बहुत अतिशय है। जैन-अजैन, पारसी, मुसलमान यादि सभी लोग बोली चढ़ानेको यहांपर आते हैं। मुसमानपारसी लोग जीवित मुर्गा विघ्नहर पार्श्वनाथ के नामपर चढ़ाते हैं। यहांकी यात्रा करके वापिस स्टेशन बारडोली आवे । फिर वहांसे जलगांव भुसावल आदि जाना ही तो इधर जावे । तीचमें एक चींचपाड़ा स्टेशन पड़ता है । वहां से मोटर तांगासे पीपलनेर होकर श्री मांगीतुंगीजीको पक्का रास्ता जाता है । सो सिर्फ बहुत ही नजदीक ३९ मील पड़ता है । और नासिक मनमाडसे मांगीतुंगीजी ५४ मील पड़ता है । पीपळनेर में भी दि० जैनवस्ती है। और १ मंदिर भी है। यहांसे साकरी कुमबा होकर पक्की सड़कसे धुलिया जावे। और मांगीतुंगी से १ सड़क सटाना, माल्यागांव होकर मनमाड जाती है। और वही रेलसे भी मिलमाती है । अब हम जलगांवका हाल लिखने है। फिर ये ही रेल नागपुर जाकर मिलती है। एक जळगांव से बंबई तक जाती है। बारडोली से जलगांवका किराया १ ॥ ) लगता है । भुसावल गाडी बदलकर अकोला जाते समय रास्ते में भुसावल, मलकापुर आदि सब जगह दि० जैन वस्ती है । और मंदिर भी हैं। भुसावल में रेलवेका कारस्थाना देखने योग्य है । (९७) जळगांव ।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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