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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। मुहम्मद उद्दीन इस मंदिरपर चढ़ाई करके मंदिर-मूर्ति नादिया तुड़वाकर अरबों रुपयों का जवाहरात ऊंटोंमें लादकर लेगया था । हालमें मामूली मंदिर है । प्राचीन मंदिर टूट गया है। यहांसे जूनागढ़ आवे । फिर निधर जाना हो जाये । पालीताना जानेवाले जेतलसर, घौला, गाड़ी बदलकर मीहोगरोड़ उतरें । (८१) सीहोग। यहांमे गाडी बदलकर पालीताना जावे । यहांसे जाते आते भावनगर जरूर उतरे । मोहोगमें राजाका राज्य, परकोटा, दरवाना आदि गेनकदार है । ग्राममे स्टेशन २ मील है। (८२) भावनगर । यह शहर भी ममुद्र के एक गपूपर वमा है । यहांपर भावनगर नंकमन, भावनगर मिटी ये दो स्टेशन हैं । सो यात्रियोंको सिटी उतर कर दिगम्बर जैन धर्मशाला पूछ लेना चाहिये। एक धर्मशाला स्टेशनके सामने बहुत ननदीक है। १ धर्मशाला तथा दि. जैन मदिर और मंदिरके उंचे नीचे भी बहुत प्राचीन प्रतिमा हैं । स्टेशनसे १ मील दि. जैनियोंकी वस्ती है। ) सवारीमें तांगा जाता है। भावनगर शहर अच्छा है। राजा साका राज्य है। बाग, बगीचा, राजमहल, बानार आदि देखनेयोग्य हैं। यहांकी दि० प्रतिमा बहुत दर्शनीय है। श्वेताम्बर मंदिर बहुत हैं । मगर दो-चार मंदिर कीमती देखने योग्य है। किसी भाईकी इच्छा हो तो भावनगरसे ॥) सवारीमें तांगा जाता है। पक्की सड़के उपर ८ मीलपर घोघा शहर पड़ता है, भावनगरमें १ दि. जैन पाठशाला भी है।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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