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________________ [ ३] अन्दर की तरफ जैन बोडिग और जैन महाविद्यालय भी है। इसके अतिरिक्त छावनी में दो, तुकोगंज में एक, दोतवरा में एक, और मल्हारगंज में एक मन्दिर है। सरसेठ जी के शीशमहल के मन्दिर जी में शीशे का काम दर्शनीय है। सेठ जी की ओर से यहाँ कई पारमार्थिक संस्थायें चल रही हैं । स्व० दानवीर सेठ कल्याण मल जी द्वारा स्थापित श्री तिलोकचन्द दि० जैन हाई स्कूल भी चल रहा है । यहाँ होल्कर कालिज राजमहल आदि स्थान देखने योग्य हैं। यहां से यात्री को मोरटक्का का टिकट लेना चाहिए। वहाँ धर्मशाला है और थोड़ी दूर रेवा नदी है, जिसे नाव द्वारा पार उतर कर सिद्धवरकूट जाना चाहिये। सिद्धवरकूट सिद्धवरकूट से दो चक्रवर्ती और दस कामदेव आदि साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष पधारे हैं। यहां एक कोट के अन्दर पाठ दि. जैन मन्दिर और ४ धर्मशालायें हैं। प्रतिमायें अतीव मनोज्ञ हैं । एक मन्दिर जंगल में भी है। यहाँ का प्राकृतिक दृश्य अत्यन्त सुन्दर और शांत है। क्षेत्र के एक तरफ नर्मदा है, दूसरी तरफ जंगल और पहाड़ियाँ हैं। कितनी सुन्दर तपोमूमि है। यहाँ सिद्धवरकूट के पास ही हिन्दुओं का बड़ा तीर्थ मोंकारेश्वर है। यहां से मोटर इक्का द्वारा जाना चाहिए और वहां से सनावंद स्टेशन जाना चाहिए। ऊन (पावागिरि) - सनावद से मोटर द्वारा खरगौन जाना चाहिए । खरगौन से ऊन (पावागिरि) क्षेत्र दो मील है। यह प्राचीन अतिशय क्षेत्र पावागिरि नाम से हाल ही में प्रसिद्ध हुआ है। यहां एक धर्मशाला और श्राविकाश्रम और एक धर्मशाला में एक नया मन्दिर भी बनवाया गया है । नया मंदिर बड़वाह की दानशील केशरबाई ने
SR No.010323
Book TitleJain Tirth aur Unki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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