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________________ [११६] परिशिष्ट १ यात्रियों को सूचनायें १. यात्रियों को यात्रा में किसी के हाथ की वस्तु न खानी चाहिए पौर न प्रत्येक पर विश्वास करना चाहिए। २. रेलवे स्टेशन पर गाड़ी पाने के पहले पहुंच कर इत्मीनान से टिकट ले लेना चाहिये और उसके नं० नोट बुक में लिख लेना चाहिए। अपने सामान को भी गिन लेना चाहिए और कुली का नं० भी याद रखना चाहिये। ३. छुमाछूत की बीमारियों से अपने को बचाते हुये स्वयं साफ सुथरे रहकर यात्रा करनी चाहिये । ४. बच्चों की सावधानी रखनी चाहिये-उन्हें खिड़की के बाहर नहीं झांकने देना चाहिये और न ही प्लेट फार्म या बाजार में छोड़ देना चाहिये । उनको जेवर नही पहनाना चाहिये। ५. अपने साथ रोशनी टार्च, लालटन प्रवश्य रक्खें। साथ ही लोटा, डोर, चाकू, छड़ी, छत्री आदि जरूरी चीजें भी रक्खें। ६. शुद्ध सामग्री और 'जिनवाणी संग्रह प्रादि पूजा स्तोत्र को पुस्तकें अवश्य रखनी चाहिये। ७. यात्रा में किसी भी प्राणी का जी मत दुलामो। लूले, लंगड़ों मोर पाहिजों को करुणा दान दो। तीर्थोद्वार में भी दान दो। किसी से भी झगड़ा न करो। ८. पर्वत पर चढ़ते हुए भगवान के चरित्र भौर पर्वत की पवित्रता को याद रखना चाहिए। इससे चढ़ाई खलती नहीं है।
SR No.010323
Book TitleJain Tirth aur Unki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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