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________________ १०५ २३. अर्थाधिगम-चिन्तन २४ ज्ञापकतत्त्व-विमर्श २५ ध्यान-विमर्श न्याय २६ भारतीय वाङ्मयमें अनुमान-विचार २७ न्याय-विद्यामृत ११४ ११७-१६४ ११९ १६१ १६५-३०० १६७ १९६ २२० २४० २४३ २५५ खण्ड २ : इतिहास और साहित्य २८ स्याद्वादसिद्धि और वादीसिंह २९ द्रव्यसग्रह और नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव ३० शासन-चतुस्त्रिशिका और मदनकीर्ति ३१ 'सजद' पदके सम्बन्धमें अकलङ्गदेवका महत्त्वपूर्ण अभिमत ३२ ९३वें सूत्रमें 'सजद' पदका सद्भाव ३३ नियमसारकी ५३वी गाथा और उसकी व्याख्या एव अर्थपर अनुचिन्तन ३४ अनुसन्धानमें पूर्वाग्रहमुक्ति आवश्यक कुछ प्रश्न और समाधान ३५ गुणचन्द्र मुनि कौन है ? ३६ कौन-सा कण्डलगिरि सिद्धक्षेत्र है? ३७ गजपथ तीर्थक्षेत्रका एक अति प्राचीन उल्लेख ३८ अनुसन्धानविषयक महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ३९ आचार्य कुन्दकुन्द ४० आचार्य गृद्धपिच्छ ४१. आचार्य समन्तभद्र २५९ २७६ २७८ ૨૮૨ २८४ २९१ २९७ २९८ खण्ड ३: विविध ३०१-३७१ ३०३ ३०८ ३१५ ३२१ ३३१ ४२ विहारकी महान देन तीर्थंकर महावीर और इन्द्रभूति ४३ विद्वान् और समाज ४४ हमारे सास्कृतिक गौरवका प्रतीक अहार ४५ आचार्य शान्तिसागरजीका ऐतिहासिक समाधिमरण ४६ आदर्श तपस्वी आचार्य नमिसागर . एक परिचय ४७ पूज्य वर्णीजी महत्त्वपूर्ण सस्मरण ४८ प्रतिभाभूति पं० टोडरमल ४९. श्रुत-पञ्चमी ५० जम्बूजिनाष्टकम् ५१. दशलक्षणधर्म ५२. क्षमावणी क्षमापर्व ३३५ ३४० ३४२ ३४५ ३४६ ३४८
SR No.010322
Book TitleJain Tattvagyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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