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________________ ( १३३ ) डिगा । इससे वह चौथी वार कहने लगा- “यदि तू इस व्रतको नहीं छोटेगा तो अभी तेरी स्त्री अग्निमित्राको भी मारुंगा और मूले कर उसके रक्तमांस से तेरे शरीरको छींदूंगा । जीससे तू आर्तध्यान, रौद्रध्यान से मरेगा । " यां तीन बार कहा | अतः एव सद्दालपुत्रको चूलणीपियाकी तरह संकल्प उठा । इससे देवको पकड़नेको गया तो देव आकाश मार्गसे रफु चकर हुआ और सद्दालपुत्र थंभे से लिपट गया । यहांसे आगे सारा अधिकार चुलणीपियाकी तरह जानना | इतना विशेष कि मरकर अरुणव्यय नाम विमानमें देवता हुआ । वहां से महाविदेह क्षेत्र में उपज कर मोक्ष जावेगा ।
SR No.010320
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_upasakdasha
File Size3 MB
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