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________________ (१२३) उपसर्ग देनेको कोइ देवता आया होगा । उसने आपके व्रत पच्चखाणोंका भंग किया । अतएव यहीं, मन, वचन और काया से आलोचना कर प्रायश्चित्त कर लीजीये" श्रावकने वहीं आलोचना कर मायश्चित लिया। चूलशतक अणसण कर सुधर्म देवलोकमें अरुणसिद्ध विमानमें उपजा । वहांपर चार पल्योपमकी स्थिति कर महाविदेह क्षेत्रमें उपज मोक्ष पावेगा. - अमूल्य पापध व्रतको अंगीकार किये पाद रोजगारके विचारमें गोते खानेवाले को भी 'बहुला' जैसी धर्मज्ञ सुपत्नी मिले तो कैसी अच्छी बात हो ? कि जो भूल बता कर पायश्चित दिलवाके दृढधी बना सके। ।
SR No.010320
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_upasakdasha
File Size3 MB
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