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________________ ४५ - व्यापार. (२) जंगल कटाने का व्यापार. (३) गाडी आदि बेचने का व्यापार. (४) गाडी बैल रखकर भाडा करनेका व्यापार. (५) पृथ्वीको खुदानेका व्यापार. (६) हाथीदांत वगैराका व्यापार. (७) जानवरों के वाले का व्यापार. (८) मदिरादिकका व्यापार. (९) लाख आदि रंगने की वस्तुओं का व्यापार. (१०) जहरीली वस्तुओं का व्यापार (११) घाणी आदिका व्यापार. ( १२ ) वैलेकेि अंग छेदनेका व्यापार. (१३) जंगलमें आग लगानेका व्यापार (१४) सरोवर कुए तालाव आदिको सुखाने का व्यापार (१५) और हिंसक जीवोंको पालने व बेचनेका व्यापार । (८) आठवें व्रत के अतिचार : - (१) काम बढे ऐसी बातें करना. (२) कुचेष्टा करना (३) मुंह साम्हने मीठा बोलना और पीछे से बुराई करना. (४) अधिकरणका संयोग बना लेना, (५) एक वार भोगनेकी वस्तुको बार बार भोगना. (९) नववे व्रत के अतिचारः - (१) मनको बुरे रास्ते जाने देना. (२) वचन बुरे कहना. (३) कायका बुरा उपयोग करना. (४) सामायिक करलेने पर भी उसकी याद न रखना. ( ५ ) सामायिकका समय पूरा न होने पर भी उसे पूरा कर देना. (१०) दसवें व्रत के अतिचार : - (१) हदकी मर्यादा से वाहरकी वस्तु मंगवाना. (२) मर्यादासे बाहर चाकरके साथ वस्तु मंगवाना या भेजना. (३) हद वाहरसे किसीको चिल्हा कर बुलाना. ( ४ ) अपना स्वरूपं वता समझा कर किसीको घुलाना. (५) मर्यादा से बाहर कंकर फेंक कर किसीको बुलाना. "
SR No.010320
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_upasakdasha
File Size3 MB
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