SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्मना प्रभावथी परमेश्वरनी जे प्रतिमा स्थापवामां आवी होय ते पूजवा योग्य थायछे. ____ उपर जे पदार्थो कहेवामां आव्याछे ते आकारयुक्त होवाथी तेमनी आकृतिने अन्तरात्मामां धारण करीने तेमना बिंब (मूर्ति)नी पूजा करवामां आवे छे ते युक्त छे. पण भगवान् तो निराकार प्रसिद्ध छे एटले तेमनुं विंव करीने केवी रीते पूजाय ? एम करवायी , अतदू वस्तुमा तद्ग्रहनो ( अभगवंतगां आ भगवान् छे एवी बुद्धि करवानो) दोष कम न लागे ? निराकार भगवंतनुं विंब तो अवताराकृतिनी रचनाछे. अर्थात् महात्माओए भगवंतनो संसारमा अवतार (छेल्लो भव) जेवो थयो हतो तेवी भगवंतनी स्थापना करेली छे अने भगवंतनी जे जे अवस्था जेमने रुची ते अवस्थामां तेना अर्थीओ भगवंतने पूजेछे.. , ,
SR No.010318
Book TitleJain Tattvasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanandji Jain Sabha Bhavnagar
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy