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________________ ATO . * प्रकाशकीय प्रिय आत्म बन्धुओं! हमें आपके कर कमलों में, संत प्रवर टीकमदासजी म. द्वारा सकलित 'जैन तत्व शोधक ग्रंथ' को हिन्दी भाषा में अनूदित कराकर सादर समर्पित करते हुए परम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। परम श्रद्ध य, वयोवृद्ध, राजस्थान केशरी पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव श्री पन्नालालजी महाराज साहब की आज्ञानुवर्तिनी बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी महासतीजी श्री उमरावकवरजी म.सा. ठाणा ५ का सवत् २०२२ का वर्षावास पादू रुपारेल में हुआ। पूजनीया महासतिजी के सदुपदेशों से जो त्याग प्रत्याख्यान हुए वे अवर्णनीय हैं । ज्ञानाराधना के विषय में सारगर्भित प्रवचनों से प्रेरणा ग्रहण कर स्थानीय श्रावकों ने जैन वाडमय में से सरल एवं सुबोध शैली में सैद्धान्तिक तत्वज्ञान कराने वाले प्रथ की आवश्यकता का अनुभव किया। श्री श्वे० स्था० जैन स्वाध्यायी सघ के कर्मठ सदस्य श्रीमान् रतनलालजी सा० बोकड़िया का ध्यान उस समय इम ग्रंथ की ओर गया एव कुछ समय उपरान्त पूज्य गुरुदेव भी की सेवा मे दर्शनार्थ उपस्थित होने पर आपने इसे स्वाध्यायी बन्धुओं के लिए ग्राह्य बनाने हेतु सरल हिन्दी से अनूदित करा देने की इच्छा प्रकट की। पूज्य गुरुदेव ने स्वा० संघ के अन्य कर्मठ सदस्य श्रीमान् मदनसिंहजी सा० कुंमट एम०ए०, बी०एड०
SR No.010317
Book TitleJain Tattva Shodhak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTikamdasmuni, Madansinh Kummat
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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