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________________ ( ३६ ) (२) क्षेत्र से जघन्य । १-प्रदेशावगाढ़ उत्कृष्ट एक प्रदेश कम सर्व लोक अवगाहन कर रहते हैं । ३-काल से जितने समय तक चिंतन करे ४-भाव से अरूपी ५-गुण से चलण गुण । अजीव का तीसरा भेद-"धर्मास्तिकाय का प्रदेश" (१) द्रव्य से अपनी अपनी अपेक्षा से एक, सबकी अपेक्षा से असंख्यात (२) क्षेत्र से एक, प्रदेशावगाढ़ (३) काल (४) भाव (५) गुण-वैसे ही। . .. अजीव का चौथा भेद-"अधर्मास्तिकाय का खंध" पांचवां- "देश" छहा-"प्रदेश" इन्हें धर्मास्तिकाय के समान जाने, परन्तु गुण स्थिर है। ____ अजीव का मावतां भेद-"आकाशास्तिकाय का खंध, आठवां-देश, नवमां-प्रदेश । खंध द्रव्य से एक, क्षेत्र से लोकालोक प्रमाण, शेष काल पूर्ववत् । गुण से विकास गुण, द्रव्य से जघन्य एक देश क्षेत्र से जघन्य एक, दो प्रदेशावगाढ़ उत्कृष्टा एक प्रदेशावगाढ़ कम । सर्वलोकालोक का अवगाहन । काल से जितने समय तक चिंतन हो । भाव एवं गुण पूर्ववत् । प्रदेश द्रव्य से अनन्त । क्षेत्र से एक प्रदेश स्वयं । काल, भाव एवं गुण पूर्ववत् । अजीव का दसवां भेद-"काल द्रव्य" यह द्रव्य से अनन्त द्रव्य । यह कैसे ? इसका समाधान इस प्रकार है अनन्त जीवों के अनन्त पुद्गल अनंतानंत पर्यायों पर
SR No.010317
Book TitleJain Tattva Shodhak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTikamdasmuni, Madansinh Kummat
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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