SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रन्थ-संकेत सूची : २९६ प्र.न.तं. प्रमानयतत्त्वालोक सां० का-सांख्यकारिका प्रमाणनयसत्त्वालोकालंकार सां० मा०-सांख्यदर्शनभाष्य प्रमेयर० मा०-प्रमेयरत्नमाला सां० त० को०-सांक्यतत्वकौमुद प्र० मी०-प्रमाणमीमांसा शास्त्रदी०-शास्त्रदीपिका प्रमेयरत्ना०-प्रमेयरत्नालंकार पखण्डा०-षट्खण्डागम भ० सू०-भगवती सूत्र स० सि.-सर्वार्थसिद्धि प०प०) पत्रपरीक्षा सि० वि०-सिद्धिविनिश्चय पत्रप० । सिद्धिवि० टी-सिद्धिविनिश्चथटीका मी० श्लो० वा०-मीमांसाश्लोकवार्तिक स्वयम्भू०-स्वयम्भूस्तोत्र मो० द०-मीमांसादर्शन स्याद्वादर०-स्थादादरत्नाकर मूलसु०-मलसुत्ताणि स्था० सि०-स्याहादसिद्धि यु० दी० युक्तिवापिका सि० मु०-सिद्धान्तमुक्तावली युक्त्यनु०-युक्त्यनुशासन स्थानांगसू०-स्थानांगसूत्र वैशे० द०-वैशेषिकदर्शन सर्वद० सं०-सर्वदर्शनसंग्रह वैशेषिकसूत्रो० कसोपस्कार हेतुबि०-हेतुबिन्दु वैशे० उस० ) हेतुबि० टो०-हेतुबिन्दुटोका वेदान्तसा०-वेदान्तसार ज्ञानबि०-ज्ञानबिन्दुप्रकरण युक्तिदी०) यक्तिदीपिका
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy