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________________ ३३-५२ १२ : जैन तर्कशास्त्र में अनुमान-विचार २-कालभेदसे अनुमानका त्रैविध्य १. अतीतकालग्रहण २. प्रत्युत्पन्नकालग्रहण ३. अनागतकालग्रहण (ङ) अवयव-चर्चा (च) अनुमानका मूल रूप ( छ ) अनुमानका तार्किक-विकास तृतीय परिच्छेद संक्षिप्त अनुमान-विवेचन अनुमानका स्वरूप अनुमानके अंग (क) पक्षधर्मता (ख ) व्याप्ति अनुमानभेद अनुमानावयव अनुमानदोष चतुर्थ परिच्छेद भारतीय अनुमान और पाश्चात्य तर्कशास्त्र अन्वयविधि संयुक्त अन्वय-व्यतिरेकविधि व्यतिरेकविधि सहचारी वैविध्यविधि अवशेषविधि द्वितीय अध्याय प्रथम परिच्छेद जैन प्रमाणवाद और उसमें अनुमानका स्थान (क) तत्त्व ( ख ) प्रमाणका प्रयोजन (ग ) अन्य ताकिकों द्वारा अभिहित प्रमाणका स्वरूप (घ ) जैन चिन्तकों द्वारा प्रमाणका स्वरूप-विमर्श ५३-५७ ५८-७५ ५८ ร ร ะ ะ
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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