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________________ अनुमान-समीक्षा : ७९ निबोधका व्याख्यान किया है । इससे प्रमाणान्तर नहीं मानना पड़ेगा और इसमें सिद्धान्तका कोई विरोध भी नहीं है । विद्यानन्दने यही प्रतिपादन अतिसंक्षेपमें प्रमाणपरीक्षामें भी किया है।' इतना विशेष है कि वहाँ परार्थ अनुमानको श्रोत्रमतिज्ञान-पूर्वक होनेके कारण श्रुतज्ञान ( अक्षर और अनक्षर दोनों ) बतलाया है। तथा वचनात्मक परार्थ अनुमानकी मीमांसा करते हुए उसे उपचारसे परार्थ अनुमान कहा है। श्रुतसागरसूरिने भी अभिनिबोधका अर्थ अनुमान किया है । इन व्याख्याकारोंके अनुसार स्पष्ट है कि तत्त्वार्थसूत्रमें अभिनिबोघ शब्द स्वार्थानुमानका बोधक है। ( ३ ) धवलाकार वीरसेनने अभिनिबोधको दो विभिन्न स्थानोंपर व्याख्याएँ प्रस्तुत की हैं । हम दोनों स्थानोंकी व्याख्याएँ यहाँ दे रहे हैं। ___हिमुह-णियमिय-अत्थावबोहो आभिणिबोहो।थूलवमाण-अणंतारद-अस्था भहिमुहा। चक्खिदिए रूवं णियमिदं, सोदिदिए सहो, घाणिदिए गंधो, जि. भिदिए रमो, फासिंदिए फासी, जाइंदिए दिट्ठ-सुदाणुभूदत्था णियमिदा । अहिमुहणियमिठेसु जो बोधो सो अहिणिबोधो।। अभिमख और नियमित अर्थ के अवबोधको अभिनिबोध कहते हैं । स्थूल, वर्तमान और अनन्तरित अर्थात् व्यवधानरहित अर्थोको अभिमुख कहते हैं। चक्षुरिन्द्रियमें रूप नियमित है, श्रोत्रेन्द्रियमें शब्द, घ्राणेन्द्रियमें गन्ध, जिह्वेन्द्रियमें रस स्पर्शनेन्द्रियमें स्पर्श और नोइन्द्रिय अर्थात् मनमें दृष्ट, श्रुत और अनुभूत पदार्थ प्रतिपादन करते है(क) अनिन्द्रिय प्रत्यक्षं स्मृतिसंशाचिन्ताभिनिबाधात्मकम् । -लघोय. स्त्री० वृ० का० ६१, ।। (ख) मनामतेरपि स्मृतिप्रत्यभिज्ञानचिन्ताऽभिनिबोधात्मिकायाः कारणमतिपरिच्छिन्नार्थविषयत्वात् । -वही०, का० ६६ । १. तदेतत्साधनात् साध्यविज्ञानमनुमानं स्वार्थमभिनिबोधलक्षणं विशिष्टमतिज्ञानम्, साध्यं प्रत्यभिमुखानियमितात्साधनादुपजातवोधस्य तर्कफलस्यामिनिबोध इति संशाप्रतिपादनात् परायमनुमानमनक्षरश्रुतशानं अक्षरश्रुतशानं च, तस्य श्रोत्रमतिपूर्वकस्य त्र तथात्वापपत्ते:। -प्र०प० पृ० ७६ । २. धूमादिदर्शनादग्न्यादिप्रतीतिरनुमानमभिनिबोध अभिधीयते। -तत्त्वा० वृ० १।१३, पृ० ६१ । ३. ५० टो०, १।४।१।१४ ।
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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