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________________ ἐ 'जैन स्वाध्यायमाला पन्ना लाभ- इस्संति, विउलं ट्ठियं सुयं ॥४६॥ सज्ज सत्ये सु-विनियसंसए, मणोरुई चिट्ठइ कम्म संपया । तवो समायारि- समाहि- संवुडे, महज्जुइ पच वयाइं पालिया ॥ ४७ ॥ स देव-गंध- मणुस्सइए, चइत्तु देहं मल-पक- पुव्वयं । सिद्धे वा हवइ सासए, देवे वा अप्परए महिड्डिए ।४८। ,, || विजयसूय नाम पढम अभयण समत्त ॥ १ ॥ 4 || दुइयं परिसहज्झयणं ॥ २ ॥ J सुय मे आउस तेणं भगवया एव मक्खायं । इह खलु बावीसं परीसहा समणेण भगवया महावीरेण कासवेणं पंवेइया ! जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा श्रभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयन्तो पुट्ठो नो विहिण्णेज्जा । कयरे ते खलु वावीसं परीसहा समणेण भगवया महावीरेण कासवेण पत्रेइया जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा ग्रभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विहिन्नेजा ? इमे ते खलु बावीसं परीसहा समर्पणं भगवया महावीरेण कासवेण पवेइया, जे भिक्खू सोच्चा नच्चा जिच्चा श्रभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो नो विनिहन्नेज्जा; तं जहा - दिगिछा- परीस १ विवासा- परीसहे २ सीयपरीसहे ३ उसिण- परीस हे ४ दंस-मसय-परीसहे ५ अचेल परीसहे ६ अरइपरीसहे ७ इत्यी- परीसहे ८ घरिया परीसहे हे निसोहिया परीसहे १० सेज्जा - परीसहे १९ अक्कोस परीसहे १२ वह परीस १३ जायणा-परोसहे १४ अलाभ- परीसहे १५ रोग-परीसहे १६ aणफास-परीसहे १७ जल्ल परीसहे १८ मक्कार पुरस्कार-परीसहे १६ पना-परीमहे २० प्रमाण-परीसहे २१ दंसण-परीस हे २२ ।
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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