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________________ दशवकालिक सूत्र में १० ७१ भयभेरवसहसप्पहासे, समसुहदुक्खसहे य जे स भिक्खू । ११॥ पडिम पडिवज्जिया मसाणे, नो भीयए भयभेरवाइ दिस्स। विविहगुणतवोरए य निच्च, न सरीरं चाभिकंखए जेस भिक्खू १२॥ असइ वोसट्टचत्तदेहे, अक्कुठे व हए लूसिए वा। पढविसमे मुणी हविज्जा, अनियाणे अकोउहल्ले जे स भिक्खू ।१३। अभिभूय काएण परिसहाइ, समुद्धरे जाइपहाउ अप्पयं । विइत्तु जाइमरणं महन्भय,तवे रए सामणिए जेस भिक्खू ।१४। हत्थसंजए पायसंजए, वायसजए सजईदिए। अज्झप्परए सुसमाहिअप्पा, सुत्तत्यं च वियाणइ जे स भिक्खू ॥१५॥ उवहिम्मि अमुच्छिए अगिद्धे, अण्णायउंछं पुलनिप्पुलाए । कयविक्कयसनिहिरो विरए, सव्वसगावगए य जे स भिक्खू ॥१६॥ अलोलभिक्खू न रसेसु गिज्झे, उछ चरे जीविय नाभिकंखे । इडि च सक्कारणपूयण च, चए ठियप्पा अणिहे जे स भिक्खू ।१७। न परं वइज्जासि अय कुसीले, जेणं च कुप्पिज्ज न तं वइज्जा। जाणिय पत्तेयं पुण्णपाव,अत्ताणं न समुक्कसे जे स भिक्खू ॥१८॥ न जाइमत्ते न य रूवमत्ते, न लाभमत्ते न सुएण मत्ते। मयाणि सव्वाणि विवज्जइत्ता,धम्मज्झाणरए जे स भिक्खू ॥१६॥ पवेयए अज्जपय महामुणी, धम्मे ठियो ठावयई परं पि। निक्खम्म वज्जिज्ज कुसीललिंगं,न यावि हास कुहए जे स भिक्खू २० तं देहवासं असुई असासय सया चए निच्च हियद्विअप्पा । छिदित्तु जाईमरणस्स बधणं, उवेइ भिक्खू अपुणागमं गइ ।२॥ ॥ इति सभिक्खू नामं दसममज्झयण ॥१०॥
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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