SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन स्वाध्यायमाला २५६ सूत्र-३१ तस्स ण इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पच नामधिज्जा भवति, तंजहा-ओगेण्हया, उवधारणया, सवणया, अवलंबणया, मेहा । से त्त उग्गहे । सूत्र-३२ से कि त ईहा ? ईहा छव्विहा पण्णत्ता, तंजहा-सोइदियईहा, चक्खिदियईहा, घाणिदियईहा, जिभिदियईहा. फासिदियईहा, नोइदियईहा, तीसे ण इमे एगदिया नाणाघोसा नाणावजणा पच नामधिज्जा भवति, तंजहा-आभोगणया, मग्गणया, गवेसणया, चिंता, वीमंसा । से त्तं ईहा । सूत्र-३३ से किं त अवाए ? अवाए छविहे पण्णत्ते, तंजहा-सोइदियअवाए, चक्खि दियग्रवाए, घाणिदियअवाए, जिभिदियअवाए, फासिंदियअवाए नोइंदियअवाए, तस्स ण इमे एगदिया नाणाघोसा नाणावजणा पच नामधिज्जा भवति, तंजहा-आउट्टणया, पच्चाउट्टणया, अवाए, बुद्धी, विण्णाणे । से त्त अवाए। सूत्र-३४ से कि त धारणा ? धारणा छविवहा पण्णत्ता, तंजहा-सोइदियधारणा, चक्खिदियधारणा, घाणिदियधारणा. जिभिदियधारणा, फासिदियधारणा, नोइदियधारणा । तीसे ण इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा पच नामधिज्जा भवति. तंजहा-धारणा, साधारणा, ठवणा, पइट्ठा, कोठे, से त्त धारणा। सूत्र-३५ उग्गहे इक्कसमइए, अतोमुहुत्तिया ईहा, अंतोमुहुत्तिए अवाए, धारणा सखेज वा काल असखेज वा काल । सूत्र-३६ एव अट्ठावीसइविहस्स आभिणिबोहियनाणस्स
SR No.010312
Book TitleJain Swadhyaya Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh Sailana MP
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1965
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy