SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२०८) जैन सुशेध गुटवा । मैया वाला लगे तेरा जैया ॥ मोरा ॥ १॥ कोई इंद्राणी प्रभु को खिलावे । कोई एक ताल बजैया । कोईक नृत्य करे प्रभु भागल, नाचे ताता थैया ।। मोरादे० ॥ २ ॥ छुम छुम छुम छुम बाजे धूंधरा, छुम छुम पांव धरैया । द्रव्य । खल खली ने होगये, श्रातम खेल खिलैया ।। मोरा० ॥ ३ ।। सबसे पहिले निज जननी को,शिवपुर बीव पढ़या। चौथमल कहे नित्य उठ ध्यावो:। ऐसे ऋपम कन्हैया । कन्हैया भैया प्यारा० ॥ मोरादे० ॥ ४॥ २९६ नींद छोड़ो. . (तर्ज-दादरा) सोए हो किस नींद में, उठो होस सम्हारो ॥ टेर।। कहां राम और लक्ष्मण, कहां लंका के सिरदारों । कहां गर्वी है वह कंश, कहां कृष्ण अवतारो । सोए० ॥ १ ॥ ख्वाब के मानिंद जहां, झूठ पसारो । सब ठाट पड़ा रह जायगा, जरा चश्म उघारो ॥ सोए० ॥ २॥ कोई गरीव जीव की मत जान को मारो। वो मालिक है जुल जलाल, नरा दिल में विचारो ॥ साए ॥३॥ चलना है तुमको यहां से सोंचलों पियारों। यहां मुल्क है वेगाना जहां कौन तुम्हारो ।। सोए० ॥ ४॥ पूछेगा संभी हाल; क्या कहोगे विचारो। चुप चाप ही बनोगे वहां कौन को
SR No.010311
Book TitleJain Subodh Gutka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1934
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy