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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय २/२-म्याधिकार २५. एक क्षेत्र में अनेक सिद्ध या शरीरधारी कैसे रहते हैं ? सिद्ध अमूर्तीक होने के कारण और शरीरधारी सूक्ष्मशरीरी होने के कारण एक दूसरे में समाकर रहते हैं। २६. क्या जीव का कोई आकार है ? निश्चय से कोई आकार नहीं, व्यवहार से शरीर का आकार ही उसका आकार है, जैसे भाजन का आकार ही उसमें पड़े जल का आकार है । क्योंकि जीव शरीर में सर्वव व्याप कर रहता है । २७. यदि आकार है तो जीव को मूर्तीक कहना चाहिये ? नहीं, क्योंकि इन्द्रिय ग्राह्य को मूर्तीक कहा है, आकारवान को नहीं। २८. क्या तुम्हारा चित्र या फोटो खेंचा जा सकता है ? चित्र खेंचा जा सकता है पर फोटो नहीं, क्योंकि चित्र कल्पना से खेंचा जाता है और फोटो केमरे से । केमरे में मूर्तीक पदार्थ का ही प्रतिबिम्ब पड़ सकता है, अमूर्तीक का नहीं । २९. व्यवहार से जीव कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का एक संसारी दूसरा मुक्त । ३०. संसारी जीव कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का-एक वस दूसरा स्थावर । ३१. स्थावर जीव कितने प्रकार का है ? पांच प्रकार का-पृथिवी, जल, अग्नि, वायु व वनस्पति । ३२. जस जीव कितने प्रकार का है ? पांच प्रकार का-द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, संजी पंचेन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय । ३३. जीव कितनी काय के हैं ? छ: काय के हैं-पृथिवी, अप, तेज, वायु, वनस्पति और त्रस। ३४. जीव व कार्य के भेवों में यह अन्तर क्यों ? जीव के भेद उसके जानने की शक्ति व साधनों की अपेक्षा है, और काय के भेद शरीर जातियों की अपेक्षा ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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