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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय २/१-सामान्य अधिकार किसी अन्य का और ध्रौव्य किसी अन्य का। उत्पाद नवीन पर्याय का होता है, व्यय पूर्व पर्याय का और ध्रौव्य गण व द्रव्य की। २४. क्या पूर्व व उत्तर पर्यायें और गुण व द्रव्य पृथक-पृथक तीन बातें हैं? नहीं, एक ही द्रव्य में दीखने वाले तीन तथ्य हैं, जैसे एक ही द्रव्य में रहने वाले अनेक गुण । २५. द्रव्य गुण पर्याय में कौन सत् है और कौन असत् ? तीनों ही सत् हैं । वहाँ द्रव्य व गुण त्रिकाली सत् हैं और पयाय क्षणिक सत् । त्रिकाली न होने के कारण भले इसे असत् कहो। २६. पर्याय में सत् का लक्षण घटित करो। पर्याय का प्रथम समय में उत्पाद होता है, उत्तर समय में व्यय होता है और एक समय के लिये वह ध्रुव रहती है, अतः सत् है। २७. द्रव्य में अंश अंशी भेद दर्शाओ(क) द्रव्य अंशी है और गुण पर्याय उसके अंश, क्योंकि जिस में अंश रहें वही अंशी। (ख) उपरोक्त प्रकार ही द्रव्य अंगी है और गण पर्याय उसके अंग । (ग) द्रव्य अवयवी है और गुण पर्याय उसके अवयव । (घ) द्रव्य गुणी है और गुण उसके गुण । (ङ) द्रव्य पर्यायी है और पर्याय उसकी पर्याय । इस प्रकार द्रव्य गुण पर्याय में यथा योग्य अंश-अंशी, अंग-अंगी, अवयव-अवयवी, गुण-गुणी, पर्याय-पर्यायो, आदि युगल भाव घटाये जाने चाहिये। २८. द्रव्य गुण पर्याय में कौन सामान्य है और कौन विशेष ? द्रव्य सामान्य है और गुण पर्याय उसके विशेष । इसी प्रकार गुण सामान्य है और गुण-पर्याय उसके विशेष । द्रव्य सामान्य ही है विशेष नहीं, क्योंकि उसमें ही गुण पर्याय रहती हैं, वह किसी में नहीं रहता । गुण सामान्य व विशेष दोनों है, द्रव्य की अपेक्षा विशेष और पर्याय की अपेक्षा सामान्य । पर्याय विशेष . ही है, क्योंकि पर्याय में अन्य गुण या पर्याय नहीं रहते।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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