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________________ १-न्याय ३-परोक्ष प्रमाणाधिकार तुम में प्रशम गुण दिखाई देता है, इसलिये अवश्य सम्यग्दृष्टि हो। ५. निम्न वाक्य स्वार्थ हैं या परार्थ-- घड़े लिये स्त्रियां जा रही हैं अतः गांव आ गया; इस मुनि की चर्या दिखावटी है इसलिये यह मिथ्यादृष्टि प्रतीत होता है; क्योंकि स्कन्ध टूटते व मिलते दिखाई देते हैं इसलिये परमाणु भी कोई वस्तु है; क्योंकि सम्यग्दर्शन से आंशिक शान्ति आती प्रतीत होती है इसलिये अवश्य इससे मोक्ष होनी सम्भव है; चीन की सेना भारत की सीमा पर एकवित हो रही है अत: युद्ध अवश्यम्भावी है। ६. निम्न में कौनसी व्याप्ति है: धूम व अग्नि; सम्यग्दर्शन व सम्यग्चारित्र; वायु व वृक्षों का हिलना; मेघ व वर्षा; अग्नि का प्रकाश व अग्नि; नदी का पूर तथा ऊपरी क्षेत्र में अधिक वर्षा; रूप व रस; सम्यग्दर्शन व मनुष्य; चन्द्र व सूर्य; चन्द्र व तारे; सूर्य व धूप; बिन्ध्याचल व सह्याचल; अग्नि व ईन्धन । ७. निम्न में साधन साध्य बताओ-- इस गुफा में मृग नहीं है क्योंकि इसमें से सिंह की गर्जन आ रही है; कहीं आग लगी है क्योंकि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के घण्टे सुनाई दे रहे हैं। यह अवश्य सम्यग्दृष्टि है क्योंकि वीतराग है; गांव निकट है क्योंकि मुर्गा बोलता है; आज अवश्य कोई उत्सव है क्योंकि बच्चों में नई उमंग देखी जाती है । इस व्यक्ति को अवश्य मोक्ष होगी क्योंकि महाव्रतधारी है। ८. निम्न साध्यों में क्या दोष है:- . . . . . मैं पूछना नहीं चाहता फिर भी कोई मुझे कह रहा है कि निश्चय धर्म ही यथार्थ है क्योंकि वही मुक्ति का साधन है; वीतरागी देव पर पूरी पूरी श्रद्धा रखने वाले को कोई कहे कि वीतराग देव ही सच्चे हैं क्योंकि वही निज स्वभाव में स्थित
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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