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________________ ७-स्थाद्वाद ३२१ ४-सप्तभंगी अधिकार २६. 'ही' औ 'भी' के प्रयोग में क्या विवेक है ? यदि विवक्षा स्पष्ट कह दी गई हो तो 'ही' का प्रयोग करना चाहिये, और यदि न कही गई हो तो 'भी' का प्रयोग करना चाहिये । जैसे 'अपने पिता की अपेक्षा' ऐसा कहने पर तो देवदत्त पुत्र ही है, पिता बिल्कुल नहीं है । अतः यहां 'ही' का प्रयोग आवश्यक है । परन्तु 'अपने पिता की अपेक्षा' ये शब्द न कहने पर देवदत्त को 'पुत्र ही है' ऐसा कहना नहीं बन सकता, क्योंकि ऐसा कहने से तो वह हर व्यक्ति का पुत्र ही बन जायेगा, पिता किसी का भी न हो सकेगा। इसलिये वहां 'देवदत्त' पुत्र भी है, ऐसा कहना ही युक्त है, जिससे कि सुनने वाला भ्रम में न पड़े और स्वयं समझ जाये कि देवदत्त केवल पुत्र ही नहीं किसी का पिता भी अवश्य है।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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