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________________ ५-गुणस्थान २४७ २-गुणस्थानाधिकार आवली और कम से कम एक समय बाकी रहे, उस समय किसी एक अनन्तानुबन्धी कषाय के उदय से नाश हो गया है सम्यक्त्व जिसका, ऐसा जीव सासादन गुणस्थान वाला होता है। (१०) प्रथमोपशम सम्यक्त्व किसको कहते हैं ? सम्यक्त्व के तीन भेद हैं ---दर्शन मोहनीय की तीन प्रकृति और अनन्तानुबन्धी की चार प्रकृति, इस प्रकार सात प्रकृतियों के उपशम होने से जो उत्पन्न हो उसको उपशम सम्यक्त्व कहते हैं, और इन सातों के क्षय होने से जो उत्पन्न हो उसको क्षायिक सम्यक्त्व कहते हैं। इनमें से ६ प्रकृतियों में अनुदय और सम्यक्प्रकृति नामक मिथ्यात्व के उदय से जो उत्पन्न हो उसे क्षायोपशमिक सम्यक्त्व कहते हैं। उपशम सम्यक्त्व के दो भेद हैं,-एक प्रथमोपशम सम्यक्त्व दूसरा द्वितीयोपशम सम्यक्त्व। अनादि मिथ्यादृष्टि के पांच और सादि मिथ्यादृष्टि के सात प्रकृतियों के उपशम से जो हो उसको प्रथमोपशम सम्यक्त्व कहते हैं । (क्योंकि सम्याग्मिध्यात्व और सम्यक्प्रकृति यह दोनों प्रकृतियां की सत्ता आदि मिथ्या. दृष्टि के ही होती है, अनादि मिथ्यादृष्टि के नहीं। (११) द्वितीयोपशम सम्यक् व किसको कहते हैं ? सातवे गुण स्थान में क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि जीव श्रेणी चढ़ने के सन्मुख अवस्था में अनन्तानुवन्धी चतुष्टय का विसंयोजन करके (उनको अप्रत्याख्यान आदि रूप परिणमा कर) दर्शन मोहनीय की तीनों प्रकृतियों का उपशम करके जो सम्यवत्व प्राप्त करता है, उसको द्वितीयोतीयोपशम सम्यक्त्व कहते हैं। (१२) आवली किसको कहते हैं असंख्यात समय की एक आवली होती है । (१३) सासादन गुणस्थान में कितनी प्रक्रतियों का बन्ध होता है ? पहिले गुणस्थान में जो ११७ प्रकृतियों का बन्ध होता है, उनमें
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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