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________________ ४-भाव व मार्गणा २२१ - २-मार्गणाधिकार (८) गति के कितने भेद हैं ? चार हैं-नरकगति, तिर्यञ्चगति, मनुष्यगति, देवगति । (8) इन्द्रिय किसको कहते हैं ? आत्मा के लिंग को इन्द्रिय कहते हैं । (१०) इन्द्रिय के कितने भेद हैं ? दो हैं--द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय । (११) द्रव्येन्द्रिय किसको कहते हैं ? निर्वृत्ति व उपकरण को द्रव्येन्द्रिय कहते हैं । (१२) निवृत्ति किसको कहते हैं ? प्रदेशों की रचना विशेष को निर्वृत्ति कहते हैं । (१३) निर्वृति के कितने भेव हैं ? दो हैं- बाह्य और आभ्यन्तर। (१४) बाह्य निवृत्ति किसको कहते हैं ? इन्द्रियों के आकार रूप पुद्गल की रचना विशेष को बाह्य निर्वृत्ति कहते हैं। (१५) आभ्यन्तर निर्वृत्ति किसको कहते हैं ? आत्मा के विशुद्ध प्रदेशों की इन्द्रियाकार रचना विशेष को आभ्यन्तर निर्वृत्ति कहते हैं। (१६) उपकरण किसको कहते हैं ? जो निर्वृत्ति का उपकार कर उसको उपकरण कहते हैं । (१७) उपकरण के कितने भेद है ? दो भेद हैं-बाह्य व आभ्यन्तर । (१८) आभ्यन्तर उपकरण किस को कहते हैं ? नेन्द्रिय में कृष्ण शुक्ल मण्डल की तरह सब इन्द्रियों में जो निर्वृत्ति का उपकार करे उसको आभ्यन्तर निर्वृत्ति कहते हैं । (१९) बाह्योपकरण किसको कहते हैं ? नेवेन्द्रिय में पलक वगैरह की तरह जो निर्वृत्ति का उपकार करे उसको बाह्योपकरण कहते हैं ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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