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________________ ३/३ बन्धकारण अधिक (१) आस्रव किसको कहते हैं ? बन्ध के कारण को आस्रव कहते हैं । २. आस्रव के कितने भेद हैं ? दो हैं-भावास्रव और द्रव्यास्रव । (३) भावात्रव किसको कहते हैं ? द्रव्यबन्ध के निमित्तकारण अथवा भावबन्ध के उपादान कारण को भावास्रव कहते हैं । नोट :-(जीव के मन वचन कायकी चेष्टा को भावास्रव कहते हैं, क्योंकि उनके कारण से द्रव्यास्रव होता है)। (४) द्रव्यास्त्रव किसको कहते हैं ? द्रव्यबन्ध के उपादानकारण अथवा भावबन्ध के निमित्त कारण को द्रव्यास्रव कहते हैं (नोट :-भावास्रव के निमित्त से नवीन नवीन कर्माण वर्गणाओं का जीव के प्रदेशों में प्रवेश पाना द्रव्यास्रव है। ५. बन्ध किसको कहते हैं ? दो द्रव्यों के संश्लेष सम्बन्ध को बन्ध कहते हैं । ६. संश्लेषण सम्बन्ध की क्या विशेषता है ? संयोग सम्बन्ध में जिस प्रकार दो द्रव्य अपने पृथक-पृथक स्वरूप में स्थित रहते हैं, उस प्रकार संश्लेष सम्बन्ध में नहीं रहते । वहां दोनों मिलकर अपना-अपना असल रूप खो देते हैं
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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