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________________ २- द्रव्य गुण पर्याय १४० (११ सुख) ( २०२) सुख किसको कहते हैं ? आल्हाद स्वरूप आत्मा के परिणाम विशेष को सुख कहते हैं ( विशेष देखो अध्याय ५ अधिकार ) । २०३ . सुख कितने प्रकार का होता है ? दो प्रकार का - ऐन्द्रिय सुख और दूसरा अतीन्द्रिय सुख । २०४ ऐन्द्रिय सुख किसे कहते हैं ? पांचों इन्द्रियों के विषय भोगने से जो सुख होता है उसे ऐन्द्रिय सुख कहते हैं । यह सुख लौकिक होने से सर्व परिचित है । २०५. अतीन्द्रिय सुख किसे कहते हैं ? ४- जीव गुणाधिकार स्वरूप स्थिरता द्वारा, जो ज्ञाता दृष्टा रूप स्वाभाविक भावमें जो निराकुलता व निर्विकल्पता उत्पन्न होती है. उसे अतीन्द्रिय सुख कहते हैं | अलौकिक होने से सम्यग्दृष्टि जीवों के परिचय में आता है । २०६. मोक्षमार्ग व मोक्ष में कौन सा सुख इष्ट है ? अतीन्द्रिय ही स्वाभाविक व निराश्रय होने से वहां इष्ट है, क्योंकि पराश्रित होने से इन्द्रिय सुख तो अनेकों आकुलतायें उत्पन्न करने वाला है और इसलिये दुःख ही माना गया है । (१२ वीर्य) ( २०७) वीर्य किसको कहते हैं ? आत्मा की शक्ति को वीर्य कहते हैं । २०८. आत्मा की शक्ति से क्या समझे ? आत्मा की शक्ति उसके सर्व गुणों में ओत प्रोत है, जैसे जानने की हीनाधिक शक्ति, संकल्प शक्ति आदि । २०६. वीर्य कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का - शारीरिक व आत्मिक । अथवा तीन प्रकार का शारीरिक, व वाचासिक मानसिक ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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