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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय १११ ४-जीव गुणाधिकार २५. अनुभव गुण का होता है या पर्याय का ? पर्याय का होता है, क्योंकि पर्याय के साथ ही उस उस समय उपयोग तन्मय होता है। द्रव्य व गुण तो पर्याय के कारण रूप से केवल जाने जाते हैं। २६. क्या ज्ञान गुण अपने को भी जान सकता है ? स्व पर प्रकाशक होने से अपने को भी जानना आवश्यक है, पर ज्ञेय रूप से प्राप्त व आत्मा का आकार भी चित्स्वभाव की अपेक्षा परपने को ही प्राप्त होता है। २७. ज्ञान चेतना (ज्ञानोपयोग) कितने प्रकार की है ? दो प्रकार की-परोक्ष व प्रत्यक्ष । (२८) परोक्ष ज्ञान किसे कहते हैं ? जो दूसरे की सहायता से (अर्थात इन्द्रिय मन व प्रकाशादि की सहायता से) पदार्थ को स्पष्ट जाने । २९. परोक्ष ज्ञान के कितने भेद हैं ? दो है-एक मति ज्ञान दूसरा श्रुत ज्ञान। (३०) प्रत्यक्ष ज्ञान किसे कहते हैं ? जो पदार्थ को स्पष्ट जाने । ३१. प्रत्यक्ष ज्ञान के कितने भा हैं ? दो हैं-एक सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष दूसरा पारमार्थिक प्रत्यक्ष । (३२) साव्यवहारिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? जो इन्द्रिय और मन की सहायता से पदार्थ को एक देश स्पष्ट जाने (इन्द्रिय ज्ञान सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष है)। ३३. इन्द्रिय ज्ञान को तो ऊपर परोक्ष कहा गया है ? अन्य की सहायता की अपेक्षा रखने से वास्तव में वह परोक्ष ही है, पर लोक व्यवहार में प्रत्यक्ष माना जाने से ही उसे सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहा गया है । (३४) पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? जो बिना किसी की सहायता के पदार्थ को स्पष्ट जाने ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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