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________________ प्रकाशकीय आज से लगभग ६ वर्ष पूर्व उपाध्याय श्री मधुकर मुनिजी म. के अन्तकरण मे एक योजना स्फुरित हुई थी, कि जैन साहित्य के अक्षयअपार कथा साहित्य का दोहन कर सरल-सुबोध भाषा-शैली मे जैन कथा वाडमय का प्रकाशन किया जाय । मुनिश्री की यह शुभ भावना शीघ्र ही फलवती हुई और कार्य प्रारम्भ होगया । अव तक इस योजना मे ३० भाग प्रकाशित हो चुके है, जिसमे जैन कथा साहित्य की ३०० से अधिक प्रामाणिक कहानियो का प्रकाशन हो चुका है । गत वर्ष जैन रामकथा का प्रकाशन हुआ था । एक ही जिल्द मे पाँच भाग निविष्ट कर लगभग ५२० से अधिक पृष्ठों की वह पुस्तक पाठको के हाथो मे पहुँची, सर्वत्र ही उसका आदर हुआ । कथा के साथसाथ वह एक प्रकार का सदर्भ ग्रथ भी वन गया था जिसमे जैन रामकथा एव वैदिक रामकथा का व्यापक व तुलनात्मक वर्णन भी था । अब उसी शैली मे जैन श्रीकृष्ण कथा तीन भाग एक ही जिल्द मे पाठको के हाथो मे प्रस्तुत है । हमें विश्वास है यह प्रकाशन भी पूर्व प्रकाशनो की भाँति पाठको को मनोरजन के साथ शिक्षा प्रदान कर ज्ञान वृद्धि मे उपयोगी होगा । अमरचंद मोदी —मत्री मुनिश्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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