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________________ २२ जैन मायामाला " जब कम ने माता की बात न मानी तो रानी धारिणी वन में अन्य मान्य पुरुपो के पास जाकर पुकार करने लगी। धारिणी के सभी प्रयास विफन्न हो गये । कम ने उग्रसेन को नहीं छोडा । 'पूर्वजन्म का किया हुआ निदान कभी मिथ्या नहीं होता।' -~-वसुदेव हिठी, श्यामा-विजया लम्मक विपष्टि० ८/२ -~-उत्तरपुराण ७०/३४८-३६८ ० उत्तरपुराण के अनुसार १ पेटिका को कौशावी की शूद्र स्त्री मदोदरी ने निकाला था । वचपन मे ही क्रूर प्रवृत्ति मे नग आकर मदोदरी ने उसे घर मे निकाल दिया और वह सूरीपुर जाक- वसुदेव का सेवक बन गया। (श्लोक ३४८ ३५१) २ मिहरथ को सुरम्य देश के अन्तर्गत गेदनपुर का गजा माना गया है। (श्लोक ३५३) यहाँ मदोदरी वह नन्दूक जगसघ को दिखाती है । (श्लोक ३६१)
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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