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________________ कंस का पराक्रम ३. कासी की पेटी यमुना की लहरो पर तिरती - तिरती मथुरा से शौर्यपुर नगर आ पहुँची । 1 प्रात काल सुभद्र नाम का रसवणिक आवश्यक शारीरिक क्रियाओ से निवृत्त होने नदी के किनारे आया। उसने यह पेटी देखी तो उत्सुकतावश किनारे पर खीच लाया। पेटी में एक नवजात शिशु तथा नामाकित राज - मुद्रा और पत्र से सव कुछ जान लिया । सुभद्र ने वह पेटी लाकर घर मे रखी और अपनी इन्दु नाम की पत्नी को उस शिशु के पालन-पोषण का भार सौपा। कासी की पेटी मे मिलने के कारण शिशु का नाम रखा गया कस । कस ज्यो-ज्यो बडा हुआ उसके बुरे लक्षण प्रगट होने लगे । वह अपने साथी वालको को मारता पीटता । परिणामस्वरूप उस वणिक दम्पत्ति के पास नित्य ही उपालभ आने लगे । सुभद्र ने उसे डराया, धमकाया, वर्जना दी, ताडना दी किन्तु कस पर कोई प्रभाव न पडा । उसके उत्पात दिनोदिन वढते गये । क्रूरता तो कस के मुख पर हर समय खेलती रहती । उसकी भुजाओ मे खुजली चलती रहती । वह मचलता रहता किसी को मारने-कूटने के लिए । दश वर्ष की अवस्था मे ही वह इतना दुर्दमनीय हो गया कि वणिक सुभद्र के काबू मे न रहा । जब सुभद्र के सभी प्रयास निष्फल हो गये तो उसने कस को ले जाकर वसुदेव का सेवक बना दिया । १ घी तेल आदि के व्यापारी को रसवणिक कहा जाता था । [सम्पादक ]
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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