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________________ द्रौपदी स्वयंवर कापिल्यपुर नरेश राजा द्रुपद की पुत्री राजकुमारी द्रौपदी ने भरी स्वयवर सभा मे वरमाला पाँचो पॉडवो' के गले मे अति आसक्तः होकर डाल दी। १ पाँची पाडवो का सक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - आदि जिनेश्वर भगवान ऋषभदेव के एक पुत्र का नाम कुरु था । * उसके नाम पर ही भारतवर्ष के एक प्रदेश का नाम कुरुजागल पड़ा । कुरु का पुत्र हस्ती हुआ । उसके नाम पर हस्तिनापुर नगर वसाया गया । हस्ती को वश परपरा मे अनन्तवीर्य राजा हुआ और उसका पुत्र कृतवीर्य । कृतवीर्य का पुत्र हुआ सुभूम चक्रवर्ती । मुभम को ही वश परम्परा मे अनेक राजाओ के पश्चात शातनु नाम का राजा हुआ। शातनु की दो स्त्रियाँ थी~गगा और सत्यवती । - गगा का पुत्र हुआ भीष्म जो भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुआ और सत्यवती के दो पुत्र हुए-चित्रागद और चित्रवीर्य । भीष्म तो आजीवन ब्रह्मचारी रहे और चित्रवीर्य का विवाह अविका, अबालिका और अवा तीन राजकुमारियो मे हुआ । अविका से धृतराष्ट्र, अबालिका से पादु और अम्बा से विदुर ये तीन पुत्र हुए। धृतराष्ट्र का विवाह हुआ गावार नरेश सुबल की गाधारी आदि आठ कन्याओ से। शकुनि इन गाधारी आदि वह्नो का भाई था । घृत राष्ट्र के दुर्योधन आदि सौ पुत्र हुए। पाड का विवाह कुन्ती और माद्री दो राजकन्याओ से हुआ । कुन्ती से उनके तीन पुत्र थे—युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन तथा माद्री २१६
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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