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________________ १७८ जैन कथामाला भाग ३२ द्वारका प्रवेश के समय जय-जयकार के उद्घोपो से आकाश गूज उठा। बडे उत्साह और समारोह पूर्वक यादवो ने द्वारका में प्रवेश किया। ___ श्रीकृष्ण की आज्ञा से कुबेर ने सभी विशिष्ट पुरुपो और दशो दशाहो के निमित्त निर्मित भवन वता दिये। सभी यादवो ने सुख पूर्वक उनमे प्रवेश किया। कुवेर ने साढे तीन दिन तक स्वर्ण, रत्न, विचित्र वस्त्र तथा धान्यो की वृप्टि करके द्वारका नगरी को समृद्ध कर दिया। वासुदेव श्रीकृष्ण के सुगासन मे द्वारका निवासी सुखपूर्वक समय व्यतीत करने लगे। ---त्रिषष्टि०८/५ -उत्तर पुराण ७१/१-२८ -अन्तकृत, वर्ग १, अध्ययन १ ० उत्तरपुराण मे मोमक राजा के आने का उल्लेख नही है। यहाँ जरासध के पुत्रो के आक्रमण का वर्णन हैजीवयशा से मथुरा के समाचार सुनकर जरामघ को बहुत क्रोध आया और उसने अपने पुत्र यादवो पर आक्रमण के लिए भेजे । यादवो ने उन्हे पराजित कर दिया। (श्लोक ७-८) तदन्त र जरासघ का अपराजित नाम का पुत्र युद्ध हेतु आया। उसने ३४६ वार आक्रमण किया किन्तु उसे भी परागमख होना पड़ा। (श्लोक-१०) तव कालयवन (यहाँ कालयवन नाम का एक ही पुत्र माना गया है) 'मैं यादवो को अवश्य जीतूंगा' ऐमी प्रतिज्ञा करके चला । (श्लोक ११) २ देव का नाम सुस्थित के स्थान पर नैगम है। (श्लोक २०)
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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