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________________ बलियो खलनलीयो, कीराम करडोने दाहामो पण बलियो ॥५६॥ बीजा नगरमां वात सं नलागी, पावा गढने पंथे रोकाणो पाणी ॥ वि मलनो वधतो परताप जाणी, प्राग उमराव मिलिया सौप्राणी ॥ ५७ ॥ आदर देई ने वि मल वेढालो, वारे विसलदे नूपत नीन मालो ॥ डाहो डुंगरशी काहानमदे वालो, एटलाशुं मिलियो अजमेरवालो ॥ ५८॥ सोरठ गुजरा थ दखणनी नूमि, मालव मरहट्ठ पूरविया रू मी ॥ एटला तो वाटें आविने निलिया, पनी बीजाही राजन मिलिया ॥ ५९ ॥ पाटण गेमी ने हुआ प्रसिद्धां. सातशे गाम गढीपारा ली धा ॥ मोहोटा महीपति चाकर कीधा, डेरा चं द्रावे प्रावीने दीधा ॥६०॥ पोल नांगीने प राक्रम कीधो, नला नूमि वनवास लीधो ॥ विमलें वसहीनो महूर्त कीधो, नेजा रोपीने नि शाण दीधो ॥६१ ॥ चोधरी चोवटीया प्रोहि त पटवारी, विमलने मिलिया सांठाले नारी॥ गाम गढने धरती तुमारी, साहेबने हाथे शरम अमरी ॥ ६२ ॥ सामा अाव्या तेने सिरपाव
SR No.010305
Book TitleJain Shiloka Sangraha Pustika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNana Dadaji Gund
PublisherNana Dadaji Gund
Publication Year
Total Pages83
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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