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________________ (२८) २० व्याख्यान श्रवण करने में छोटे बड़े साधु ___ या संघाडा पर संघाडा की भेद भावना । नहीं रखना, निष्पक्षपात से श्रवण करना. २१ सभा में के कोई भी सभासद के उपर . वैरभाव या द्वेष भाव रखना नहीं २२ मन की वृत्तियों को एकाग्र कर आदि • से अंततक एक चित्त से सच्चे दिल . से श्रवण करना. २३ सामायिक व्रत गुरु की आज्ञा से कर स्वतः बांध लेना, मगर व्याख्यान में । “अंतराय नहीं डालना. पाठ १४वा ज्ञान मर्यादा. १ धर्मपुस्तक को अपने आसन से नीचे आसन पर रखना नहीं. . २ धर्मपुस्तक को पैर नहीं लगाना तथा उसके उपर सोना या बैठना नहीं. ३ धर्मपुस्तक को जमीन पर यों ही नहीं रख छोड़ना, परंतु टवणी के उपर र खना अथवा पाटली के साथ अच्छे बंधने में बांध रखना.
SR No.010304
Book TitleJain Shikshan Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
PublisherJain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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