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________________ चौथा दिन उबल पडा। वह बड़े ही भयंकर रूप मे युद्ध करने लगा, इस से अभिमन्यु को क्रोध आ गया और उसने जो तीक्ष्ण बाण वर्षा करके भयानक युद्ध छेडा तो शल्य के प्राणो पर प्रा बनी। यह देख कौरव वीरो को चिन्ता हुई। दुर्योधन और उसके भाई शल्य की रक्षा के लिए पाये और शल्य को चारो ओर से घेर कर पाण्डव वीरो से लड़ने लगे। तभी भीमसेन आ निकला और उसने भीषण संग्राम प्रारम्भ कर दिया। दुर्योधन को भीमसेन पर बड़ा क्रोध आया और उसने हाथियो की भारी सेना लेकर उन्मत गज समान भीमसेन पर आक्रमण कर दिया। भीमसेन उसी समय एक लोहे की भारी गदा लेकर रथ से कूद पड़ा और भीमसेन की गदाओ की मार से हाथी विगड खड़े हुए और आपस मे ही लड़ने लगे। वह दृश्य वड़ा ही वीभत्स हो गया। हाथियो की यह दयनीय दशा देखकर पाण्डवो ने उन पर वाण वर्षा कर दी जिससे हाथी और भी भयभीत हो गए। और लोग हाथियों की इस दशा को देखकर ही काप जाते. परन्तु भीमसेन गदा लिए हुए उन हाथियों के बीच ही युद्ध कर रहा था। अनेक हाथी भीमसेन के हाथो मारे गए और पहाड़ों की भाति रण भूमि मे गिर पडे । बचे खचे हाथी अपने प्राण लेकर भागने लगे और इस प्रकार कौरवो की सेना का ही नाश करने लगे। . अपनी इस दुर्गति का कारण भीमसेन को समझ कर दुर्योधन ने अपनी सेना को ललकार कर आदेश दिया कि सभी मिलकर एक साथ भीमसेन पर आक्रमण कर दो। सेना ने प्राज्ञा का पालन किया, परन्तु भीमसेन मेरु पर्वत के समान डटा खडा रहा । सेना उसका कुछ न विगाड सकी, उल्टे कितने ही कौरव वीर भीमसेन के हाथो मारे गए। इधर दुर्योधन ने कुछ वाण ऐसे मारे कि भीमसेन के ऊपर -६ पा लगे । इस से भीमसेन कपित हया और दुर्योधन तथा उसके माझ्या पर प्राक्रमण करने हेत पन... रथ पर मा चढा ओर आक्रमण कर दिया। फिर इतना भयकर यद्ध किया कि दुर्योधन के पाठ भाई मारे गए। उधर घटोत्कच ने जब देखा कि कौरव वीर इकट्ट होकर ।
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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