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________________ सतारहवां परिच्छेद ************** __ *** दुर्योधन से टक्कर **xxxrakrit (राजकुमार उत्तर) उधर राजा विराट, चार पाण्डवो के सहयोग से सुशर्मा से लड रहे थे, इधर उत्तर दिशां से दुर्योधन ने अपनी सेनायो तथा सहयोगियो सहित आक्रमण कर दिया। उसकी सेनायो ने लाखों गोए होंक ली; लहलाते खेतों को नष्ट कर डाला । ग्रामीण अपने प्राण लेकर भाग खड़े हुए और उन्हो ने जाकर राजकुमार उत्तर के सामने दुहाई मचाई । वोले- "दुहाई है राजकुमार की हम पर भारी विपदा का पहाड़ टूट पडा है। कौरव सेना हमारी गाए भगा लेजा रहा है। हमारे खेतों खलिहानो को तवाह कर डाला गया है । हमार ग्रामो पर मौत मडरा रही है। हम वरवाद हो रहे हैं । हम बचाइये ." राजकुमार बोला-"तुम्हारी व्यथा को सुन कर हमारा हृदय शोकातुर हो गया है। हमें तुम्हारे प्रति सहनुभूति है । विश्वास रखपो कौरव सेनानी का सिर कुचल दिया जायेगा। बस महाराज को वापिस पा लेने दो । वे दृष्ट सगर्मा को परास्त करने गए है। प्रोते ही होगे ।" "राजकुमार ! महाराज तो जाने कब मरा लौटे । -~-याने पौर किमान दीनता पूर्वक वोल-युद्ध में न जाने कितना ए लग जाए। उस समय तक तो हमारा सर्वनाश हो जायेगा । मान
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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