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________________ ३२ जैन महाभारत वह अपना निर्वाह कर ले, यह ता अपना निर्वाह ठीक रीति से करता है इसके पास तो सुविधाये है, यह तो यों ही अपने को गरीब बताता है।" इस प्रकार कहने से उस व्यक्ति (जिसने धन देना था) के विचारो मे परिवर्तन आ गया और उस ने उसे द्रव्य देने से इन्कार कर दिया । तब निराश होकर वह दीन वहां से चला गया। इसमे जिस व्यक्ति ने दीन की लाभ प्राप्ति मे विघ्न डाला उस ने उस अन्तराम कर्म का बध कर लिया जिस के फलस्वरूप भविष्य मे उसे भी इष्ट लाभ की प्राप्ति मे विघ्न पड़ेगा। क्योंकि वह उस दीन के अन्तराय का निमित्त कारण है । यह कर्म पांच प्रकार का है-दानान्तराय, लाभान्तराय भोगान्तराय, उपभोगान्तराय और बल-वीर्यान्तराय । जो प्राणी दसरे के इन कार्यों में विघ्न डालता है वह क्रमश उन अन्तराय कर्म का बन्ध करता है। हे राजकुमारी । ये ही आठ कर्म हैं जिससे बंधा हुआ (लिप्त हुआ) यह जीव ससार में परिभ्रमण करता रहता है। शुभाशुभ मानसिक, वाचिक तथा कायिक प्रवृति से इन कर्मो का सचय होता है, वास्तव मे संसार की वस्तु बुरी नहीं है बल्कि प्राणी की दृष्टि बुरी है । कर्मबन्ध का मूल कारण वस्तु नहीं हृदय में रहा हुआ राग ओर द्वोष है । जतने परिमाण मे इस की तीव्रता होगी वस्तु चाहे सामान्य और थोड़ी ही क्यों न हो कर्म का दीर्घ स्थिति वाला प्रगाढ़ बन्ध होता चला जायेगा और पास मे अमित धनराशि के तथा अनिष्ट वस्तुओं के रहते हुए भी यदि राग द्वष की परिणति मन्द है,उपशम है तो कर्म का बन्ध भी उसी भांति मन्द और अल्प स्थिति वाला होगा। अत. इष्टअनिष्टवस्तु पर राग द्वेष न करके उदासीनवृति से जीवन यापन करना चाहिए। हे कुमारी । इन कर्मो को दो भागों मे बाटा गया है एक घातिक और एक अघातिक ।X धातिक कर्म वे है जो आत्मा के मूलगुणो को घात रते है तथा अघातिककर्म जो मूल गुणा से भिन्न गुणोका नाश करे। जो इन घातिक कर्मों को सर्वथा क्षय(नष्ट) कर देता है अर्थात् जिसका ज्ञान, *दर्शन और चारित्र गुण सर्वांश रूपसे विकसित हो चुका हो वह अरिहन्त 'X अात्मा के मूलगुण ज्ञान और दर्शन हैं, घातिक कर्म चार हैं ज्ञानवरणीय, दर्शनावरणीय मोहनीय, और अन्तराय शेष अघातिक ।
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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