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________________ प्रद्गुम्न कुमार ५१३ क्या गिनती है ? तू उर मत देवी इस उपाय में पिता पुत्र फा उज्जवल निलन होगा।' इस प्रकार नारद की 'अनुमति में एक नवीन रच पर रक्मणि सवार हो गई और प्रद्युम्न मारवी बनकर उन्ने नगर के वार ले गया। दुसरी प्रोर नारद ऋषि ने उद्घोषणा की कि "गणार पर ले जाई जा रही है, जिसकी मुजानो में नहाया बचा लंबे ।' उनना सुनते ही यादव हाथी घोडे पति सेना यादि लेकर चल पड़े उसकी रक्षा के लिये। इधर प्रनप्ति के प्रभार से वयुन्न पं. माय भी एक विशाल चतुरगिनी सेना दिखाई देने लगी। गुज "पारम्भ हो गया। इतने में ही श्रीकृष्ण पहुच गये । शत्रु को देखते ही उन्होंने पारजन्य शख को पूरना चाहा किन्तु प्रज्ञप्ति के प्रभाव से धनि न निकली । यत चनुप सं वाणों को वर्षा करने लगे। किन्तु कुमार ने सुप्रनामा-अर्थचन्द नाग में उनके बीच में उसके टुकड़े कर देता । उन पर 'पावाम 'पा उन्होंने प्राार के लिये चक्र उठाया । यह दस रब में बठी रकमणि भयभीत | गई कि 'पत्र कुमार जीवित न रह संरंगा । एतन मं नारद प्रकट हो गए और कहने लगे है वीर । विवाद को छोड दा, चक कुमार को मारने में समर्थ न हो सकेगा । यह सब कुछ प्रदयुम्न की परीक्षा निमित्त किया गया था। ___ "यह प्रकरणीय कार्य मेरे से कम हो गया ? श्री कृष्ण कोध को पीते हुए बोले । उनके क्रोध को शान्त करने के लिए चक्राविष्टित यक्ष बोल उठा-राजन् कुपित न हाइये । आयुध रत्तो का यह ही धर्म है कि वे शत्रुओं का सहार तथा स्वामी के वन्धुणों 'पर्थात् कुल की रक्षा करते हैं यानि कुल पर नहीं चलते । क्योकि यह तुम्हारा पुत्र नारद द्वारा लाया गया है और उसकी प्रेरणा से रुक्मणि के अपहरण का स्वांग रचा गया है।" यक्ष की बात सुनकर श्री कृष्ण शान्त हुए और निनिमेपदृष्टि से प्रदयुम्न कुमार को देखने लगे । पश्चात् नारद सहित कुमार उनके पास आया और उनके चरणों में लिपट गया। श्री कृष्ण अपने पुत्र को प्राप्त कर गदगद हो उठे। कौरवों की ओर से स्वय दुर्योधन ने आकर श्री कृष्ण से उदधिकुमारी के हर लिए जाने की शिकायत की। तब कुमार ने स्वय ही रहस्योदघाटन किया। दुर्योधन को उसका वह रूप देखकर बडी प्रसन्नता कृष्ण शान्त हुन सहित कुमार पुत्र
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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