SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 520
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन महाभारत महल मे जाकर रति ने कनकमाला के चरण स्पर्श किए। पिता जी को प्रणाम किया । दोनो को नृप तथा रानी ने बारम्बार आशीर्वाद दिया । रानी बार बार रति को देख मन ही मन प्रफुल्लित होती रही । जैसे उसके घर मे शशि ही उतर आया हो । ४६८ कृष्ण, श्वेत लाल लोचन हैं, कठ का आकार अम्बु समान है । पगतल, करतल नेत्र के कोने नम्र तालु, ओंठ सभी आरक्त है । जैसे साक्षात लक्ष्मी हो । हृदय, ललाट और शीश तीनों विस्तीर्ण है त शुभ लक्षण सगृहीत हो गए है । स्वर गम्भीर नाभि और कान अण्डाकार | दांतों की पक्ति मुक्ता रत्न समान मुखमण्डल चन्द्र समान यह बातें प्रतीक है इस सत्य की कि पूर्व जन्म का तपोबल उसकी आत्मा के साथ सम्बन्धित है । नाक कीर समान, और गौर वर्ण यह सभी कुछ रति को इन्द्राणी से भी अधिक रूपवती बना रहे हैं । यह देखकर कनकमाला बहुत ही प्रसन्न हुई । नृप को तो बहुत ही प्रसन्नता थी कि प्रद्युम्न कुमार साक्षात् देवागना सी बहू लाया है । रानी की कुमार के प्रति कामवासना रानी ने फिर कुमार की ओर देखा । विस्तीर्ण वक्ष मोती समान दांत, गौर वर्ण, विशाल मस्तक, बड़ी बड़ी आखें, वह भी मद भरी, और रक्तिम डोरे से युक्त, ललाट पर श्रद्भुत तेज, भुजाए विशाल, हाथी के सूंड समान जंघाए, यह सभी कुछ आकर्षण कुमार मे था । बस रानी सोचने लगी- "ओह इतना सुन्दर कुमार | इसके साथ सेज पर न सो सकू तो जीवन के सच्चे आनन्द से रहित ही रह जाऊंगी । घर ही में कामदेव है और मैं व्यर्थ ही में उसे अपना पुत्र कहकर अपनी वासनाओ की तृप्ति से वंचित रह रही हूं।" रानी के मन में कामवासना जागृत हो गई । बस कनकमाला पूरी तरह कुमार पर आसक्त हो गई और विषय वासना इतनी भड़की कि वह खाना पीना सोना और हर्पपूर्वक रहना भूल गई । मन की शांति भंग हो गई । बारम्बार जमाई आतीं, आलस्य छाया रहता, मन व्याकुल रहता और स्वास जलती हुई सी निकलती, क्योंकि उस पर तो विषय ताप छाया हुआ था । केश खाले व्याकुल मन लिये वह सेज पर पड़ गई, न हंसना न बोलना सारा
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy