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________________ Coo गन्धर्वदत्ता परिणय wwwwwwwwwwwwwwwwram एक न सुनी । किन्तु वे यू ही हिम्मत हारने वाले न थे, उन्होंने भी सुग्रीव में कला के अभ्यास का दृढ सकल्प कर लिया था। सोचते-सोचते उन्हे एक उपाय सूझ पडा, उन्होंने तत्काल निश्चय किया कि प्राचार्य की पत्नी के पास चल वहाँ शायद मेरी कुछ बात बन जाय । यह सोच तत्काल वे मुग्रीव की पत्नी के पास जा पहुचे । और कहने लगे कि हे माता ! में बहुत दूर से प्राचार्य के चरणों में वीणा-वादन की शिक्षा ग्रहण करने श्राया है। आप यदि मेरे लिए प्राचार्य से निवेदन कर दे तो मेरा काम बन सकता है। वसुदेव कुमार के ऐसे शालीनता युक्त वचन सुन आचार्य पत्नी का कोमल हृदय पसीज गया। उसने शान्त्वना देते हुए कहा कि हे ब्राह्मण फुमार, धर्य रक्खा में अवश्य तुम्हारी इच्छा पूर्ति का प्रयत्न करुगी। साथ ही उनके भोजन निवास आदि का सव प्रवन्ध भी अपने यहीं कर दिया। फिर वह अपने पति से कहने लगी कि हे नाथ ! आप इस स्कन्दिल को अवश्य शिक्षा दे मैं चाहती है कि यह किसी प्रकार भी अयोग्य न रहे। प्राचार्य ने उत्तर दिया, यह तो निरा गवार है। इस पर प्राचार्य पत्नी बोली मुझे इसके गवार या मूर्ख होने का कोई प्रयोजन नहीं, आप उसे जेसे भी हो निपुण बनाने का प्रयत्न कीजिए। अपनी पत्नी का ऐसा आमह देख मुग्रीव ने वसुदेव को अपना शिष्य बनाना स्वीकार कर लिया । तुम्बरु तथा नारद की उससे पूजा करवाई, फिर उन्हे वीणा 'नीर चन्दन का गज देकर बोले कि इस वीणा का स्पर्श करो। वसुदेव नं उन वीणा पर इतने जोर से गॅवारों की तरह हाथ मारा कि वह वीणा टूट गई । तव उपाध्याय ने अपनी पत्नी से कहा देख इस गॅवार पी कला निपुणता। तय वह बोली "अजी, यह वीणा तो बड़ी पुरानी जीर्ण-शीर्ण और फमजोर सी घो। दूसरी नई 'पोर मजबूत वीणा लाकर दो, तो धीरेधीरे एने अपने प्राप अभ्यास हो जायेगा।' तदनुसार एक नई मजबूत वीणा मगवादो गई, 'पीर उन्हें समझाया गया कि वे उस वीणा का रपर्श धीरे से परे। दम प्रकार आचार्य के कथनानुसार वसुदेव वीणा वादन का एपभ्यास करने लगे। धीरे धीरे परीक्षा का समय आ पहुँचा। तब वमुदेव ने गुरु जी ने नभा भवन में ले चलने की प्रार्थना की। प्राचार्य ने
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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