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________________ तृतीय भूमिका प्राणायाम प्रथम आरोह-एक सप्ताह तक अनुलोम-विलोम प्राणायाम। द्वितीय आरोह-द्वितीय सप्ताह सकुम्भक अनुलोम-विलोम प्राणायाम। तृतीय आरोह-तृतीय सप्ताह मूलवन्ध सहित सकुम्भक अनुलोम विलोम प्राणायाम। चतुर्थ आरोह-चतुर्थ सप्ताह समूलवन्ध कुम्भक अनुलोम-विलोम प्राणायाम। पचम आरोह-पचम सप्ताह केवल कुम्भक। चतुर्थ भूमिका भावना प्रथम आरोह -मैत्री भावना का चितन और अभ्यास । द्वितीय आरोह-प्रमोद भावना का चितन और अभ्यास। तृतीय आरोह-कारुण्य भावना का चितन और अभ्यास। चतुर्थ आरोह-माध्यस्थ भावना का चिंतन और अभ्यास । पंचम भूमिका ध्यान प्रथम आरोह-पिण्डस्थ ध्यान। द्वितीय आरोह-पदस्थ ध्यान। तृतीय आरोह-रूपस्थ ध्यान। चतुर्थ आरोह-रूपातीत ध्यान। इस समूचे क्रम को ८० मिनट मे सम्पन्न किया जा सकता है। प्रारम्भ मे एक-एक भूमिका का ही अभ्यास करना चाहिए। सब भूमिकाओ का स्थिर अभ्यास हो जाने पर सबका एक साथ प्रयोग किया जा सकता है। चित्त लय का सहज अभ्यास - यदि आप आसन, प्राणायाम आदि की साधना मे ध्यान देना नही १६४ / मनोनुशासनम्
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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