SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनोनुशासनम् / १०५ नाम स्थान शक्ति केन्द्र मूलाधार गुदा और लिग का मध्यवर्ती स्वास्थ्य स्वाधिष्ठान पेडू तैजस् मणिपुर आनद अनाहत विशुद्धि विशुद्ध दर्शन आज्ञा ज्ञान सहस्रार नाभि हृदय कण्ठ भ्रू मध्य मस्तिष्क वर्ण ४ रक्त ज्योति शिखाकार स्वर्णिम अध्यात्म-विद्या ज्योति का ध्यान प्रवृत्ति, आरोग्य ६ सिंदूरी ब, भ, म, यं, र, ल विजली की रेखा का वासनाक्षय, ओजस्विता ध्यान दल १० | नील दल बीजाक्षर १६ धूम्र २ श्वेत व, श, ष, स आत्म-साक्षात्कार, ऐश्वर्य १२ | अरुण क, ख, ग, घं, ड, च, अग्निशिखा का यौगिक उपलब्धिया, छ, ज, झ, ट, ठ ध्यान आत्मस्थता अ से अ तक दीपशिखा का ध्यान कामना-विजय ह, क्ष शरच्चन्द्र की ज्योति अन्तर्ज्ञान, का ध्यान वासिद्धि फल ड, ढं णं, त, थ, द, बाल-सूर्य का ध्यान आरोग्य, धं, न, प, फ ५० अवर्ण अ से क्ष तक प्रचण्ड तेज का ध्यान | मुक्ति
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy