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( २१ )
ल सदावे ॥ निरुवम महत्पन्नावे, योसामि सुदिन सप्रावे ॥ २ ॥ गादा ॥ सब पुरक पसंतीणं, सब पाव प्पसंतीणं ॥ सया अजिय सं ती, नमो श्रजि संतिां ॥ ३ ॥ सिलोगो ॥ श्रजिअ जिस सुहृप्पव तणं, तव पुरिसुत्तम नाम कित्तणं, ॥ तह य धिइ मइ पवत्तणं तवय जित्तम संतिकित्तां ॥ ४ ॥ माग हिया || किरिया विहि संचित्र कम्म किलेस विमुरकयरं, प्रजिथं नि चित्रं च गुणेहिं महा मुणि सिद्धि गयं । अस्ति य संत्ति महामु