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(ए) ॥ नविय जगाणंदयर, कल्लाण परं पर निहाणं ॥१॥ राय नय जरक रस्कस, कुसुमिण उस्लमण रिस्क पीमासु ॥ संझासु दी सुपंथे, नवसग्गे तहय रयणीसु ॥ २० ॥ जो पढ जो अनिसुगर, ताणं कश्यो य माणतुंगस्त ॥ पासो पावं पसमे न, सयल नुवण चिअ चलणो ॥ ॥ २१ ॥ नवसग्गंते कमग, सुरम्मि कागा जो न संचलिन ॥सुर नर किनरजुवज्ञहिं, संथुन जयनपास. जियो ॥ २२॥ एअस्स मनयारे, अधारस अरकरहिं जो मंतो॥ जो