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________________ १६४ ] श्री कैलाशगिरि पूजा श्री कैलाश पहाड जगत परधान कहा है । प्रादिनाथ भगवान जहां शिववाम लहा है ।। नाग कुमार महावाल व्याल आदि मुनिगई । गये निहि गिरिमों मोक्ष याप पूजों शिरनाई॥ श्री कैलाश पहाड़ मो. आदिनाय जिन देव । मुनी प्रादि जे शिव गये. थापि कगें पद मेव ।। ही योजनान पर्वत ने श्री प्रादिनाय वानी तथा नागकुमारादि नुनि मोक्षपट प्राप्त अत्र अवतर २ मंत्रीपद् । अत्र तिष्ट निट । पत्र मम सन्निहितो नत्र २ वपद् । नदगड मुनिरमल नीरलाय, करि प्रामुक मत्कुम्भन भराय । जिन आदि मोक्ष के नाशथान, मुन्यादि पाद जज़ जोरि पानि । ॐ ह्रीं श्री कैलाग पर्वत ने आदिनाथ भगवान् और नाकुनागदि मोनफल प्राप्तये जनं निर्वगामीनि स्वाहा। मलयागिरि चन्दन को घसाय, कुंकुमयुत मत्कु भन भराय । जिन आदि मोक्ष कैलाश नाम, मुन्यादि पाद० ।। चन्दन । जिनवर कमोद वर शालि लाय, खण्डहीन घोय थारा भराय । जिन प्रादि मोक्ष कैलाश थान, मुन्यादि० ॥ अक्षतं । सुवेल चमेली जुही लेय, पाटिल वारिज थारी भरेय । जिन प्रादि मोक्ष कैलाश यान, मुन्यादि० ॥ पुष्पं मोदक घेवर खाजे बनाय, गोमा सुहाल भरि थाल लाय । जिन प्रादि मोक्ष कैलाश थान, मुन्यादि० ॥ ॥नवेद्य।।
SR No.010298
Book TitleJain Stotra Puja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeer Pustak Bhandar Jaipur
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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