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________________ (दोहा)-नौवीत अतिशय नहित. बाजा के भगवान । जयमाला श्री पन की. गाऊं तुखद महान ।। द्धरि इन्द जय पननाय परमात्म देव । जिनकी करते तर चरपतेव ।। जय पम २ प्रभु तन रमाल । जयर को मुनिनन विशाल।। कौशाम्बी मे तुम जान लीन । बाड़ा में बहु अतिशय करीन।। इक नाः पुत्र ने जमी लोद : पाया तुमको होकर नमोद । सुनकर हर्षित हो भविक वृन्द मात्र पूजा को हुन्न निरंद ।। करते दुरियो का दुःख दूर । हो नष्ट प्रेत बाधा जरूर " । डाक्ति शास्नि सब होय चूर्ण । अन्वे हो जाते ते पूर्ण ।। श्रीपाल से० अंजन सुचोर । तारे तुमने उनको विभोर ।। मर नकुल सर्प गता सनेत । तारे तुमने निज भक्ति हेत ॥ हे संक्ट मोचन भत्त-पाल । हमको भी तारो पुरण-विशाला विनती करता हूँ बारबार । होवे नेरा दुख भार क्षार ।। नीना गूजर सब नाः जन । भार पूर्ज कर तृप्त नैन ।
SR No.010298
Book TitleJain Stotra Puja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeer Pustak Bhandar Jaipur
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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