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________________ LAAAAAAMAARAAMRAAM जैन-समाजका हास क्यों ? १५ १३-जयकुमारका सुलोचनासे विवाह हुअा था। मगर इन दोनोंकी एक जाति नहीं थी। १४-शालिभद्र सेठने विदेशमें जाकर अनेक विदेशीय एवं विजातीय कन्याओंसे विवाह किया था। १५-अग्निभूत स्वयं ब्राह्मण था, उसकी एक स्त्री ब्राह्मणी थी और एक वैश्य थी । (उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ७१-७२) १६-अग्निभूतकी वैश्य पलीसे चित्रसेना कन्या हुई और वह देवशर्मा ब्राह्मणको विवाही गई । (उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ७३) १७-तद्भव मोक्षगामी महाराजा भरतने ३२ हजार म्लेच्छ कन्याश्रोंसे विवाह किया था । १८-श्रीकृष्णचन्द्रजीने अपने भाई गजकुमारका विवाह क्षत्रिय कन्याओंके अतिरिक्त सोमशर्मा ब्राह्मणकी पुत्री सोमासे भी किया था। (हरिवंशपुराण ब्र० जिनदास ३४-२६ तथा हरिवंशपुराण जिनसेनाचार्य १६-मदनवेगा 'गौरिक' जातिकी थी। बसुदेवजीकी जाति 'गौरिक' नहीं थी। फिर भी इन दोनोंका विवाह हुआ था। यह अन्तर्जातीय विवाहका अच्छा उदाहरण है । (हरिवंशपुराण जिनसेनाचार्यकृत) २०--सिंहक नामके वैश्यका विवाह एक कौशिक-वंशीय क्षत्रियकन्यासे हुश्रा था। २१-जीवंधर कुमार वैश्य थे, फिर भी राजा गजेन्द्र (क्षत्रिय) की कन्या रत्नवतीसे विवाह किया । (उत्तरपुराण पर्व ७४, श्लोक ६४६-५१)
SR No.010296
Book TitleJain Samaj ka Rhas Kyo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1939
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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