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________________ २६६ जैनसाहित्य और इतिहास कल्याण, ३ अंजनापवनंजय और ४ सुभद्राहरण । इनमेंसे पहले दो प्रकाशित हो चुके हैं और शेष दो शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। __ इनके सिवाय १ उदयनराज, २ भरतराज, ३ अर्जुनराज, और ४ मेघेश्वर इन चार नाटकोंका उल्लेख और मिलता है। इनमेंसे अर्जुनराज सुभद्राहरणका ही दूसरा नाम मालूम होता है। शेष तीन नाटक दक्षिणके भण्डारोंमें खोज करनेसे मिल सकेंगे। 'प्रतिष्ठा-तिलक ' नामका एक और ग्रन्थ आराके जैनसिद्धान्तभवनमें है। यद्यपि इस ग्रन्थमें कहीं हस्तिमल्लका नाम नहीं दिया है परन्तु अय्यपार्यने अपने जिनेन्द्र कल्याणाभ्युदयमें जिन जिनके प्रतिष्ठापाठोंका सार लेकर अपना ग्रन्थ रचनेका उल्लेख किया है, उनमें हस्तिमल भी हैं । अतएव निश्चयसे हस्तिमल्लका एक प्रतिष्ठापाट है और वह यही है । आदिपुरीण ( पुरुचरित ) और श्रीपुराण नामके दो ग्रन्थ कनड़ी भाषामें भी हस्तिमल्ल के बनाये हुए उपलब्ध हैं । संस्कृतके समान कनड़ी भाषापर भी उनका अधिकार था और शायद इसी कारण वे उभयभाषाचक्रवर्ती कहलाते थे । यदि उनका जन्मस्थान दीपंगुडि है, जैसा कि ब्रह्मसूरिने लिखा है तो उनकी मातृभाषा तामिल होगी और ऐसी दशामें कनड़ीपर भी उन्होंने संस्कृतके समान प्रयत्नपूर्वक अधिकार प्राप्त किया होगा। १ मि० आफ्रेग्यके केटेलाग्स केटलॉगोरम ' ( सन् १८९१ लिपजिग ) में इन सब नाटकोंका उल्लेख आपर्ट साहबकी — लिस्ट आफ संस्कृत मेनु० इन सदर्न इंडिया ' ( जिल्द १-२ सन् १८८०-८५ ) के आधारसे किया गया है। यह लिस्ट दक्षिण भारतकी प्रायवेट लायबेरियोंको देखकर तैयार की गई थी और इस लिए आपर्ट साहबने उस समय गृहपुस्तकालयोंमें इन ग्रन्थोंको स्वयं देखा होगा । २ इस ग्रन्थके शुरूके ४१ पत्र साँगलीके श्री गुंडप्पा तवनापा आरवाडेके पास हैं और उन्हें देखकर डा० उपाध्येने अभी हाल ही 'हस्तिमल एण्ड हिज आदिपुराण' नामक अंग्रेजी लेख लिखा है । यह ग्रन्थ गद्यमें है और इसके प्रत्येक पर्वमें जो मंगलाचरण है वह जिनसेनके आदिपुराणका है। ३ मूडबिद्री और वरांगके जैनमठोंमें इस ग्रन्थकी हस्तलिखित प्रतियाँ सुरक्षित हैं ।
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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