SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचार्य अमितगति १७७ हरिभद्रसूरिके धूर्ताख्यान नामक प्राकृत ग्रन्थके ढंगका है । कमसे कम धूर्ताख्यानकी छाया इसमें अवश्य है । यह बात ग्रन्थकर्ताका आशु-कवि होना प्रकट करती है कि केवल दो महीनेमें ही उन्होंने इस ग्रन्थको रच डाला था। __ यह ग्रन्थ विकम संवत् १०७० में समाप्त हुआ था । अबसे लगभग ४० वर्ष पहले इसे स्व० गुरुजी पं० पन्नालालजीने हिन्दी-अनुवाद सहित बम्बईसे प्रकाशित किया था । साँगलीसे इसका एक संस्करण मराठी टीकासहित भी छप चुका है। ३ पंचसंग्रह–इसे संस्कृतश्लोकबद्ध पंचसंग्रह कहना चाहिए । अज्ञातनामकर्तृक प्राकृत पंचसंग्रहको ही सुगम संस्कृतमें श्लोकबद्ध करके यह रचा गया जान पड़ता है। यह विक्रम संवत् १०७३ में मसूतिकापुर नामक स्थानमें बनकर समाप्त हुआ था। इसकी प्रशस्तिसे मालूम होता है कि इनके गुरु माधवसेनके समयमें सिन्धुपति या सिन्धुल पृथ्वीकी रक्षा करते थे। यह माणिकचन्दजैनग्रन्थमालामें प्रकाशित हो चुका है ।। ४ उपासकाचार-अमितगतिश्रावकाचार नामसे इसकी प्रसिद्धि है । उपलब्ध श्रावकाचारोंमें यह बहुत विशद, सुगम और विस्तृत है । रचना बहुत ही सुन्दर और काव्यमयी है । इसकी श्लोकसंख्या १३५२ है । इस ग्रन्थके अन्तमें कर्ताने अपनी गुरु-परम्परा तो दी है, परन्तु रचनाका समय, स्थान आदि नहीं दिया है । संभव है, प्रशस्तिके एक दो पद्य लिपिकर्ताओंकी कृपासे छूट गये हों । यह अनन्तकीर्ति-ग्रन्थमालामें स्व० पं० भागचन्दजीकी भाषावचनिकासहित प्रकाशित हो चुका है। ५ आराधना-यह शिवार्यकी प्राकृत आराधनाका पद्यबद्ध संस्कृत अनुवाद है, जो केवल चार महीनेमें पूर्ण किया गया था। इसमें ग्रन्थकर्त्ताने देवसेनसे १-अमितगतिरिवेदं स्वस्य मासद्वयेन । प्रथितविशद कीर्तिः काव्यमुद्भतदोषम् ।। अभी अभी हरिषेणकृत · धम्मपरिक्खा' नामक अपभ्रंश भाषाका एक ग्रन्थ देखनेको मिला जो संस्कृत धर्मपरीक्षासे पहलेका-वि० सं० १०४० का—बना हुआ है और हरिषेणने लिखा है कि पहले धर्मपरीक्षा जयरामकृत गाथाबद्ध थी, उसे मैंने पद्धडिया छन्दमें किया । जान पडता है, अमितगतिने अपना संस्कृत ग्रंथ उक्त दो से किसी एकके आधारसे बनाया है । शायद इसी लिए उसके बनने में केवल दो ही महीने लगे । कथानक, पात्रोंके नाम आदि धम्मपरिक्खा और धर्मपरीक्षाके बिल्कुल एक हैं । १२
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy