SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सोमदेवमूरिका नीतिवाक्यामृत ७३ ताथागत, कापिल, ब्रह्माद्वैतवादि, अवधूत आदि दर्शन-सिद्धान्तोंपर विचार किया है । इनके सिवाय मतङ्ग, भृगु, भर्ग, भरत, गौतम, गर्ग, पिंगल, पुलह, पुलोम, पुलस्ति, पराशर, मरीचि, विरोचन, धूमध्वज, नीलपट, ग्रहिल, आदि अनेक प्रसिद्ध और अप्रसिद्ध आचार्योंका नामोलेख किया है। बहुतसे ऐतिहासिक दृष्टान्तोंका भी उल्लेख किया गया है। जैसे यवनदेश (यूनान ?) में मणिकुण्डला रानीने अपने पुत्रके राज्यके लिए विषदूषित शराबके कुरलेसे अजराजाको, सूरसेन (मथुरा) में वसन्तमतीने विषमय आलतेसे रंगे हुए अधरोंसे सुरतविलास नामक राजाको, दशार्ण ( भिलसा )में वृकोदरीने विपलिप्त करधनीसे मदनार्णव राजाको, मगध देशमें मदिराक्षीने तीखे दर्पणसे मन्मथविनोदको, पाण्ड्य देशमें चण्डरसा रानीने कबरीमें छुपी हुई छुरीसे मुण्डीर नामक राजाको मार डालो । इत्यादि । पौराणिक आख्यान भी बहुतसे आये हैं । जैसे प्रजापति ब्रह्माका चित्त अपनी लड़कीपर चलायमान हो गया, वररुचि या कात्यायनने एक दासीपर रीझकर उसके कहनेसे मद्यका घड़ा उठायौं, आदि । इन सब बातोंसे पाठक जान सकेंगे कि आचार्य सोमदेवका ज्ञान कितना विस्तृत और व्यापक था। विचारोंकी उदारता—यशस्तिलकके प्रारम्भके २० वें श्लोकमें कहा है लोको युक्तिः कलाश्छन्दोऽलंकाराः समयागमाः। सर्वसाधारणाः सद्भिस्तीर्थमार्ग इव स्मृताः ॥ अर्थात् सजनोंका कथन है कि व्याकरण, प्रमाणशास्त्र ( न्याय), कलायें, छन्दःशास्त्र, अलंकारशास्त्र और ( अर्हत, जैमिनि, कपिल, चार्वाक, कणाद, बुद्धादिके) दर्शनशास्त्र तीर्थमार्गके समान सर्वसाधारण हैं। अर्थात् जिस तरह गंगादि तीर्थोके मार्गपर ब्राह्मण भी चल सकते हैं और चाण्डाल भी, उसी तरह १-देखो आश्वास ५, पृ० २५२-५५ और २९९ । २ यशस्तिलक आ० ४, पृ० ५३ । इन्हीं आख्यानोंका उल्लेख नीतिवाक्यामृत ( पृ० २३२ ) में भी किया गया है। आश्वास ३-पृ० ४३१ और ५५० में भी ऐसे ही कई ऐतिहासिक दृष्टान्त दिये गये हैं । ३ यश० आ० ४ पृ० १३८-३९ ।
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy